महासमुन्द जिले के बारे में Mahasamund information

महासमुन्द जिले के बारे में:- introduction

Mahasamund
महासमुन्द जिला अपनी सांस्कृतिक इतिहास के लिए प्रसिद्ध है। यह क्षेत्र ‘सोमवंशीय सम्राट’ द्वारा शासित ‘दक्षिण कोशल’ की राजधानी थी, यह सीखने का केंद्र भी हैं।
यहाँ बड़ी संख्या में मंदिर हैं,जो अपने प्राकृतिक और सौंदर्य के कारण हमेशा आगंतुकों को आकर्षित करते हैं। यहाँ के मेले/त्यौहार लोगों के जीवन का हिस्सा बन गए हैं।।
दक्षिण कोशल यानी, वर्तमान छत्तीसगढ़ के सिरपुर की स्थिति सभी अंतरराष्ट्रीय प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थलों के शीर्ष पर है। सिरपुर, पवित्र महानदी नदी के तट पर स्थित है,यह पूरी तरह से सांस्कृतिक और स्थापत्य कला का विलय है।
पूर्व में (सोमवंशीय सम्राटों के समय) में सिरपुर ‘श्रीपुर’ के नाम से जाना जाता था, और यह दक्षिण कोशल की राजधानी थी। महत्वपूर्ण और मूल प्रयोगों के साथ ही धार्मिक, आध्यात्मिक, ज्ञान और विज्ञान के मूल्यों की वजह से सिरपुर की स्थिति भारतीय कला के इतिहास में बहुत ही खास है।

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District Information

जिला – महासमुंद
स्थापना – 6 जूलाई 1998
क्षेत्रफल – 4963 वर्ग किलोमीटर
जनसंख्या 2011 – 1032754
तहसील – महासमुंद, बसना, सरायपाली, बागबाहरा, पिथौरा।
नगर पालिका – 1
नगर पंचायत – 5
ग्राम पंचायत – 491
साक्षरता 2011 – 71.02%
पुरूष साक्षरता – 82.05%
महिला साक्षरता – 60.25%

हिन्दू, बौद्ध और जैन धर्म का प्रसिद्ध केंद्र सिरपुर महासमुंद जिले में है। सिरपुर शरभपुरीय वंश तथा पांडु वंश की राजधानी थी। पूर्व में (सोमवंशीय सम्राटों के समय) में सिरपुर ‘श्रीपुर’ के नाम से जाना जाता था, और यह दक्षिण कोशल की राजधानी थी।

सिरपुर का पौराणिक नाम चित्रांगदपुर था। यहा 7 वीं शताब्दी का ईंटो का बना विष्णु मंदिर है, जिसे लक्ष्मण मंदिर के नाम से जाना जाता है। इसे रानी वास्टा ने अपने पति हर्षगुप्त के याद में बनवाया था।
वर्तमान में प्रतिवर्ष माघ पूर्णिमा के अवसर पर सिरपुर महोत्सव का आयोजन किया जाता है।
पांडु वंशी हर्षगुप्त के पुत्र, महाशिवगुप्त बालार्जुन के शासनकाल में प्रशिद्ध चीनी यात्री व्हेनसांग ने 389 ई. मे सिरपुर की यात्रा की। सिरपुर से महाशिवगुप्त के 27 ताम्रपत्र प्राप्त हुए है।

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14 वीं शताब्दी में जब कल्चुरी वंश दो भाग में बटी तब उनकी एक शाखा लहुरी शाखा की प्रथम राजधानी खल्लारी थी, जो महासमुंद जिले में है। खल्लारी मे कल्चुरी शासक ब्रम्हदेव के शासनकाल के दौरान 1415 ई. मे निर्मित विष्णु मंदिर स्थित है।
जिसे देवपाल नामक मोची ने बनवाया था।
प्रशिद्ध सत्याग्रही यती यतानलाल और शंकर राव गनौदवाले ने यहा वर्धन आश्रम की स्थापना की थी।

पर्यटक :- Tourist

महासमंद छत्तीसगढ प्रान्त का एक शहर है। अपनी प्राकृतिक सुन्दरता, रंगारंग उत्सवों और त्योहारों के लिए प्रसिद्ध महासमुन्द छत्तीसगढ़ में स्थित है।

यहां पर पूरे वर्ष मेले आयोजित किए जाते हैं। स्थानीय लोगों में यह मेले बहुत लोकप्रिय है। स्थानीय लोगों के अलावा पर्यटकों को भी इन मेलों में भाग लेना बड़ा अच्छा लगता है। इन मेलों में चैत्र माह में मनाया जाने वाला राम नवमी का मेला, वैशाख में मनाया जाने वाला अक्थी मेला, अषाढ़ में मनाया जाने वाला माता पहुंचनी मेला आदि प्रमुख हैं।
मेलों और उत्सवों की भव्य छटा देखने के अलावा पर्यटक यहां के आदिवासी गांवों की सैर कर सकते हैं। गांवों की सैर करने के साथ वह उनकी रंग-बिरंगी संस्कृति से भी रूबरू हो सकते हैं। यहां रहने वाले आदिवासियों की संस्कृति पर्यटकों को बहुत पसंद आती है। वह आदिवासियों की संस्कृति की झलक अपने कैमरों में कैद करके ले जाते हैं।

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पर्यटन स्थल:- Tourist destination

सिरपुर, चांदी माता मंदिर, खाल्लरी, बारनवापारा अभ्यारण्य, ग्राम बोरिद स्थित झरना, छेरी गोधनी की गुफा ।

मंदिर स्थल :- Temple site

सिरपुर: – sirpur
सिरपुर छत्तीसगढ़ राज्य के महासमुंद जिले का एक गांव है, रायपुर से 78 किमी दूर और महासमुंद शहर से 35 किमी दूर है। यहां लक्ष्मणेश्वर मंदिर (लक्षमण मंदिर ), सुरंग टीला तथा तीवर देव विहार जैसी पुरातात्विक पर्यटन स्थल स्थित है।
सुरंग टीला मंदिर:

यह महासमुंद जिले में सिरपुर शहर में स्थित है। महानदी नदी के किनारे पर स्थित यह ऐतिहासिक शहर अपने प्राचीन मंदिरों और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित पुरातात्विक उत्खनन के लिए प्रख्यात है।
गंधेश्वर महादेव :-

यह सिरपुर में चल रही खुदाई में पुरातत्व विशेषज्ञों को एक शिवलिंग मिला है। करीब 2 हजार साल पुराने इस शिवलिंग की खासियत यह है कि इससे तुलसी के पत्तों सरीखी खुशबू आती है, जिस वजह से इस शिवलिंग का नाम दिया गया है गंधेश्वर महादेव। यह शिवलिंगन वाराणसी के काशी विश्वनाथ और उज्जैन के महाकालेश्वर शिवलिंग जैसा चिकना है। यह शिवलिंग 4 फीट लंबा 2.5 फीट की गोलाई वाले इस शिवलिंग में विष्णु सूत्र (जनेऊ) और असंख्य शिव-धारियां हैं।
चंडी मंदिर बीरकोनी:

चंडी मंदिर बीरकोनी एन.एच. 53 के गांव बीरकोनी में है और लगभग 14 किमी पर स्थित है।

चंडी मंदिर घुंचापाली:- महासमुन्द से 40 किमी दक्षिण की ओर विकासखण्ड बागबाहरा में घुंचापाली गांव स्थित है।
गौधारा (दलदली):- महासमुन्द से लगभग 10 किमी पूर्व की ओर एक दर्शनीय स्थल दलदली स्थित है।
खल्लारी माता का मंदिर: महासमुन्द से 25 किमी दक्षिण की ओर खल्लारी गांव की पहाड़ी के शीर्ष पर खल्लारी माता का मंदिर स्थित है।
श्वेत गंगा (बम्हनी):- महासमुन्द से 10 किमी पश्चिम में बम्हनी गांव स्थित है।

पुरातात्विक :- Archaeological

पुरा नगरी सिरपुर से दक्षिण-पूर्व में करीब 35 किमी. और जिला मुख्यालय महासमुंद से उत्तर-पश्चिम में 15 किमी. दूर राष्ट्रीय राजमार्ग 353 किनारे स्थित ग्राम बिरकोनी में 23वें जैन तीर्थंकर पाश्र्वनाथ की करीब एक हजार साल पुरानी दुर्लभ प्रतिमा वर्ष 2015 में पाई गई है।

जनजातिया :- Tribe

जनजातियां – भुजिया, हलबा, कमार, धनवार, मुंडा, खरई, कंवर, बहलिया, सहरिया, खैरवार।

नदी , परियोजना :- River, project

नदी – महानदी, जोंक, सारंगी, लात।
परियोजना – शहिद वीर नारायण सिंह (कोडार बांध) परियोजना (जून 1998) कोडार नदी पर स्थित है। वर्तमान नैनी नाला में डायवर्सन बनाकर इसके पानी को कोडार बांध में लाने की योजना है।

आकर्षण स्थल सिरपुर , महासमुंद Attractions Places Sirpur, Mahasamund

महानदी पर स्थित सिरपुर में पर्यटक दक्षिण कोसल के ऐतिहासिक पर्यटक स्थलों को देख सकते हैं। पहले यह सोमवंशीय राजाओं की राजधानी थी और इसे श्रीपुर के नाम से जाना जाता था। बाद में यह श्रीपुर से सिरपुर हो गया। सिरपुर भारत के प्रमुख ऐतिहासिक पर्यटक स्थलों में से एक है क्योंकि प्राचीन समय में यह विज्ञान और आध्यात्म की शिक्षा का बड़ा केन्द्र था।

लक्ष्मण मन्दिर :- Laxman Temple

महासमुन्द में स्थित लक्ष्मण मन्दिर भारत के प्रमुख मन्दिरों में से एक है। यह मन्दिर बहुत खूबसूरत है और इसके निर्माण में पांचरथ शैली का प्रयोग किया गया है। मन्दिर का मण्डप, अन्तराल और गर्भ गृह बहुत खूबसूरत है, जो पर्यटकों को बहुत पसंद आते हैं। इसकी दीवारों और स्तम्भों पर भी सुन्दर कलाकृतियां देखी जा सकती हैं, जो बहुत खूबसूरत हैं। इन कलाकृतियों के नाम वातायन, चित्या ग्वाकक्षा, भारवाहकगाना, अजा, किर्तीमुख और कर्ना अमालक हैं। मन्दिर के प्रवेशद्वार पर शेषनाग, भोलेनाथ, विष्णु, कृष्ण लीला की झलकियां, वैष्णव द्वारपाल और कई उनमुक्त चित्र देखे जा सकते हैं। यह चित्र मन्दिर की शोभा में चार चांद लगाते है और पर्यटकों को भी बहुत पसंद आते हैं।

आनन्द प्रभु कुटी विहार और स्वास्तिक विहार:- Anand Prabhu Kuti Vihar and Swastik Vihar: –

शिरपुर अपने बौद्ध विहारों के लिए बहुत प्रसिद्ध है। इन बौद्ध विहारों में आनन्द प्रभु विहार और स्वास्तिक विहार प्रमुख हैं। आनन्द प्रभु विहार का निर्माण भगवान बुद्ध के अनुयायी आनन्द प्रभु ने महाशिवगुप्त बालार्जुन के शासनकाल में कराया था। इसका प्रवेश द्वार बहुत सुन्दर हैं। प्रवेश द्वार के अलावा इसके गर्भ-गृह में लगी भगवान बुद्ध की प्रतिमा भी बहुत खूबसूरत है जो पर्यटकों को बहुत पसंद आती है। विहार में पूजा करने और रहने के लिए 14 कमरों का निर्माण भी किया गया है।

आनन्द प्रभु विहार के पास स्थित स्वास्तिक विहार भी बहुत सुन्दर है जो हाल में की गई खुदाई में मिला है। कहा जाता है कि बौद्ध भिक्षु यहां पर तपस्या किया करते थे।

गंधेश्वर महादेव मन्दिर :- Gangeshwar Mahadev Temple

महानदी के तट पर स्थित गंधेश्वर महादेव मन्दिर बहुत खूबसूरत है। इसका निर्माण प्राचीन मन्दिरों और विहारों के अवेशषों से किया गया है। मन्दिर में पर्यटक खूबसूरत ऐतिहासिक कलाकृतियों को देख सकते हैं, जो पर्यटकों को बहुत पसंद आती हैं। इन कलाकृतियों में नटराज, शिव, वराह, गरूड़, नारायण और महिषासुर मर्दिनी की सुन्दर प्रतिमाएं प्रमुख हैं। इसके प्रवेश द्वार पर शिव-लीला के चित्र भी देखे जा सकते हैं, जो इसकी सुन्दरता में चार चांद लगाते हैं।

संग्रहालय :- The museum

भारतीय पुरातत्व विभाग ने लक्ष्मण मन्दिर के प्रांगण में एक संग्रहालय का निर्माण भी किया है। इस संग्रहालय में पर्यटक शिरपुर से प्राप्त आकर्षक प्रतिमाओं को देख सकते हैं। इन प्रतिमाओं के अलावा संग्रहालय में शैव, वैष्णव, बौद्ध और जैन धर्म से जुड़ी कई वस्तुएं देखी जा सकती हैं, जो बहुत आकर्षक हैं। यह सभी वस्तुएं इस संग्रहालय की जान हैं।

श्‍वेत गंगा :- White ganga

महासमुन्द की पश्चिमी दिशा में 10 कि॰मी॰ की दूरी पर श्वेत गंगा स्थित है। गंगा के पास ही मनोरम झरना और मन्दिर है। यह मन्दिर भगवान शिव को समर्पित है। माघ की पूर्णिमा और शिवरात्रि के दिन यहां पर भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। इस मेले में स्थानीय निवासी और पर्यटक बड़े उत्साह के साथ भाग लेते हैं। श्रावण मास में यहां पर भारी संख्या में शिवभक्त इकट्ठे होते हैं और यहां से कांवड़ लेकर जाते हैं। वह कावड़ के जल को गंगा से 50 कि॰मी॰ दूर शिरपुर गांव के गंडेश्वर मन्दिर तक लेकर जाते हैं और मन्दिर के शिवलिंग को इस जल से नहलाते हैं। अपनी इस यात्रा के दौरान भक्तगण बोल बम का उद्घोष करते हैं। उस समय शिरपुर छोटे बैजनाथ धाम जैसा लगता है।

आवागमन :- Traffic

वायु मार्ग :- Airway

पर्यटकों की सुविधा के लिए छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में हवाई अड्डे का निर्माण किया गया है। यहां से पर्यटक बसों व टैक्सियों द्वारा आसानी से महासमुन्द तक पहुंच सकते हैं।

रेल मार्ग :- Railway

मुंबई-विशाखापट्टनम और कोलकाता-विशाखापट्टनम रेलवे लाईन पर महासमुन्द में रेलवे स्टेशन का निर्माण किया गया है।

सड़क मार्ग :- Roadway

महासमुन्द कोलकाता, मुंबई और देश के अन्य भागों से सड़क मार्ग द्वारा अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। जहां से पर्यटक आसानी से महासमुन्द तक पहुंच सकते हैं।

शिक्षा :- education

बालक शाला महासमुंद
डी. एम. स. शाला

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